Friday, October 1, 2010

1. भूमिका


इस मगही धातुपाठ में धातु मगही-हिन्दी शब्दकोश से संकलित किए गए हैं । मगही धातुओं का वर्गीकरण बहुत कुछ पं॰ दीनबन्धु झा कृत मैथिली व्याकरण "मिथिलाभाषा विद्योतन" में प्रकाशित मैथिली धातुपाठ सदृश है । इसमें धातुओं को तीन वर्गों में बाँटा गया है । परन्तु इस मगही धातुपाठ में हमने धातुओं को निम्नलिखत चार वर्गों में बाँटा है ।

(1) सामान्य धातु - उदाहरणार्थ, कर, बोल, पढ़, लिख इत्यादि ।

(2) सबल धातु - ऐसे धातु जिसकी उपधा को दीर्घ कर देने से सकर्मक रूप बनते हैं । उदाहरणार्थ मर, कट, उबर, सुधर, निकस, लुट इत्यादि जिनकी उपधा को दीर्घ करने पर क्रमशः मार, काट, उबार, सुधार, निकास, लूट इत्यादि बनते हैं जो सकर्मक हैं ।

(3) नामधातु - जैसे, बात से बति (बतिआवल), झोंटा से झोंटि (झोंटिआवल), गारी से गरि (गरिआवल) इत्यादि ।

(4) अनुकरणवाची धातु - उदाहरणार्थ, अकचक (अकचकायल), करकर (करकरावल), कुनमुन (कुनमुनायल),  झनझन (झनझनायल) इत्यादि ।


मैथिली धातुपाठ में कुल 1125 धातु हैं । इस मगही धातुपाठ में कुल 2652 धातु संकलित हैं ।

धातुओं को दो भिन्न क्रमों मे रखा गया है ।
(1) धातुओं के आदि वर्णक्रमानुसार, जैसे आजकल के शब्दकोशों में शब्दों को रखा जाता है ।
(2) विपरीत (reverse) क्रम में अर्थात् धातुओं के अन्तिम वर्ण के क्रम में । यह क्रम कवियों के लिए काफी सुविधाजनक होता है, क्योंकि उन्हें कविता के लिए ऐसे शब्दों की विशेष आवश्यकता होती है जिनके अन्तिम अक्षर समान हों । जैसे - "अटक अँटक खटक गटक चटक छटक झटक पटक फटक भटक मटक लटक सटक" या "चिड़क छिड़क झिड़क भिड़क" । सुविधा के लिए सभी एक अक्षर वाले धातुओं को सर्वप्रथम रखा गया है । जैसे - आ खा गा छा जा ना पा इत्यादि । फिर व्यंजनान्त धातुओं के सभी दो अक्षर वाले धातुओं को पहले रखा गया है, उसके बाद सभी तीन अक्षर वाले धातुओं को, फिर सभी चार अक्षर वाले धातुओं को ।

मगही धातुओं के हिन्दी अर्थ यहाँ देखें ।

आप धातुओं को जिस क्रम में देखना चाहते हैं, उसकी कड़ी को क्लिक करें ।
(1) आदि वर्णक्रमानुसार
    (क) सबल धातु 
    (ङ) नामधातु

(2) अन्तिम वर्णक्रमानुसार
    (क) सबल धातु 
    (ङ) नामधातु
 
                                

4 comments:

  1. मगही भाषा के धातुटपाठ पर अति महत्वपूर्ण कार्य करने हेतु साधुवाद स्वीकारें।
    .............
    अभिषेक अवतंस
    के.हि.सं. आगरा

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  2. बहुधा,कई कार्यों का मूल्यांकन तत्काल नहीं हो पाता। भाषा का विकास इन्ही सद्प्रयासों से होता है। मगही भाषा अभी विकास के चरण में है। यह वैयाकरणिक प्रयास उसे ठोस रूप देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जाएगा।

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  3. राधारमण जी,
    आपका कहना समीचीन है । यही सोचकर मैं इस प्रकार का कार्य कर रहा हूँ । मगही धातुपाठ में जो भी धातु संकलित किए गए हैं वे मुख्यतः एक कोश पर आधारित हैं । रोजमर्रे की बोलचाल में मगही के कई धातु ऐसे हैं जिनका हम अकसर प्रयोग करते हैं लेकिन जो उस मगही-हिन्दी कोश में संकलित नहीं हैं । मेरे द्वारा संकलन के समय जो भी धातु उस कोश में नजर नहीं आए लेकिन मेरे ध्यान में आए उन्हें भी सम्मिलित कर लिए गए हैं ।

    मगही में कई ऐसे धातु हैं जो मैथिली में भी समान रूप से प्रयुक्त होते हैं । अतः मैं मैथिली कोश से भी धातुओं का संग्रह कर रहा हूँ ताकि मगही कोश में असंकलित मगही धातुओं को शामिल किया जा सके ।

    मगही धातुपाठ ब्लॉग पर भेंट देने और अपनी प्रतिक्रिया अभिव्यक्त करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद ।

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