इस मगही धातुपाठ में धातु मगही-हिन्दी शब्दकोश से संकलित किए गए हैं । मगही धातुओं का वर्गीकरण बहुत कुछ पं॰ दीनबन्धु झा कृत मैथिली व्याकरण "मिथिलाभाषा विद्योतन" में प्रकाशित मैथिली धातुपाठ सदृश है । इसमें धातुओं को तीन वर्गों में बाँटा गया है । परन्तु इस मगही धातुपाठ में हमने धातुओं को निम्नलिखत चार वर्गों में बाँटा है ।
(1) सामान्य धातु - उदाहरणार्थ, कर, बोल, पढ़, लिख इत्यादि ।
(2) सबल धातु - ऐसे धातु जिसकी उपधा को दीर्घ कर देने से सकर्मक रूप बनते हैं । उदाहरणार्थ मर, कट, उबर, सुधर, निकस, लुट इत्यादि जिनकी उपधा को दीर्घ करने पर क्रमशः मार, काट, उबार, सुधार, निकास, लूट इत्यादि बनते हैं जो सकर्मक हैं ।
(3) नामधातु - जैसे, बात से बति (बतिआवल), झोंटा से झोंटि (झोंटिआवल), गारी से गरि (गरिआवल) इत्यादि ।
(4) अनुकरणवाची धातु - उदाहरणार्थ, अकचक (अकचकायल), करकर (करकरावल), कुनमुन (कुनमुनायल), झनझन (झनझनायल) इत्यादि ।
मैथिली धातुपाठ में कुल 1125 धातु हैं । इस मगही धातुपाठ में कुल 2652 धातु संकलित हैं ।
धातुओं को दो भिन्न क्रमों मे रखा गया है ।
(1) धातुओं के आदि वर्णक्रमानुसार, जैसे आजकल के शब्दकोशों में शब्दों को रखा जाता है ।
(2) विपरीत (reverse) क्रम में अर्थात् धातुओं के अन्तिम वर्ण के क्रम में । यह क्रम कवियों के लिए काफी सुविधाजनक होता है, क्योंकि उन्हें कविता के लिए ऐसे शब्दों की विशेष आवश्यकता होती है जिनके अन्तिम अक्षर समान हों । जैसे - "अटक अँटक खटक गटक चटक छटक झटक पटक फटक भटक मटक लटक सटक" या "चिड़क छिड़क झिड़क भिड़क" । सुविधा के लिए सभी एक अक्षर वाले धातुओं को सर्वप्रथम रखा गया है । जैसे - आ खा गा छा जा ना पा इत्यादि । फिर व्यंजनान्त धातुओं के सभी दो अक्षर वाले धातुओं को पहले रखा गया है, उसके बाद सभी तीन अक्षर वाले धातुओं को, फिर सभी चार अक्षर वाले धातुओं को ।
मगही धातुओं के हिन्दी अर्थ यहाँ देखें ।
आप धातुओं को जिस क्रम में देखना चाहते हैं, उसकी कड़ी को क्लिक करें ।
(1) सामान्य धातु - उदाहरणार्थ, कर, बोल, पढ़, लिख इत्यादि ।
(2) सबल धातु - ऐसे धातु जिसकी उपधा को दीर्घ कर देने से सकर्मक रूप बनते हैं । उदाहरणार्थ मर, कट, उबर, सुधर, निकस, लुट इत्यादि जिनकी उपधा को दीर्घ करने पर क्रमशः मार, काट, उबार, सुधार, निकास, लूट इत्यादि बनते हैं जो सकर्मक हैं ।
(3) नामधातु - जैसे, बात से बति (बतिआवल), झोंटा से झोंटि (झोंटिआवल), गारी से गरि (गरिआवल) इत्यादि ।
(4) अनुकरणवाची धातु - उदाहरणार्थ, अकचक (अकचकायल), करकर (करकरावल), कुनमुन (कुनमुनायल), झनझन (झनझनायल) इत्यादि ।
मैथिली धातुपाठ में कुल 1125 धातु हैं । इस मगही धातुपाठ में कुल 2652 धातु संकलित हैं ।
धातुओं को दो भिन्न क्रमों मे रखा गया है ।
(1) धातुओं के आदि वर्णक्रमानुसार, जैसे आजकल के शब्दकोशों में शब्दों को रखा जाता है ।
(2) विपरीत (reverse) क्रम में अर्थात् धातुओं के अन्तिम वर्ण के क्रम में । यह क्रम कवियों के लिए काफी सुविधाजनक होता है, क्योंकि उन्हें कविता के लिए ऐसे शब्दों की विशेष आवश्यकता होती है जिनके अन्तिम अक्षर समान हों । जैसे - "अटक अँटक खटक गटक चटक छटक झटक पटक फटक भटक मटक लटक सटक" या "चिड़क छिड़क झिड़क भिड़क" । सुविधा के लिए सभी एक अक्षर वाले धातुओं को सर्वप्रथम रखा गया है । जैसे - आ खा गा छा जा ना पा इत्यादि । फिर व्यंजनान्त धातुओं के सभी दो अक्षर वाले धातुओं को पहले रखा गया है, उसके बाद सभी तीन अक्षर वाले धातुओं को, फिर सभी चार अक्षर वाले धातुओं को ।
मगही धातुओं के हिन्दी अर्थ यहाँ देखें ।
आप धातुओं को जिस क्रम में देखना चाहते हैं, उसकी कड़ी को क्लिक करें ।
(1) आदि वर्णक्रमानुसार
(क) सबल धातु (ख) सामान्य धातु
(2) अन्तिम वर्णक्रमानुसार
(क) सबल धातु (ख) सामान्य धातु
(घ) अनुकरणवाची धातु
(ङ) नामधातु
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